Sunday, July 10, 2011

मेरी कविताएं : अपना सर्वश्रेष्ठ

बड़े दिनों बाद मुझे अपनी एक डायरी मिली है जिसमे मैंने ९४-९७ तक की कुछ कविताएं और गीत लिख रखे थे. यूँ ही आज उन्हें आपके सामने लाने का मन हुआ और अब ये आपके सामने हैं. वैसे अपने संगीत और धुन निर्माण के दौरान लगातार लय और भाव के साथ रह कर मैं अपने लिए गीत  लिख ही लेता हूँ...हाँ कवि रूप पर मैं ध्यान ज़रूर नहीं देता..जबकि मेरे पापा लगातार कहते रहे हैं की तुम लिख सकते हो और तुम्हें लिखना चाहिए..आज बस उन्ही के लिए ये कविताएं समर्पित हैं........


अपना सर्वश्रेष्ठ - एक

मेरी सारी उपलब्धियां
सारा जीवन
और दुनियां
सभी अछूते हैं अभी
उससे

फिर भी
आपाधापियों के बीच
अपने अटूट विश्वास के साथ
बचा कर अपने अंत के लिए
रख लिया है मैंने
अपना सर्वश्रेष्ट


अपना सर्वश्रेष्ठ - दो 


बहता पानी नदी का
जेठ आषाढ़ की धूप में भी
बचाए रखता है 
अपनी ठंडक
अपनी आत्मा की तरह
जैसे बचा लेती है धूप 
अपनी गर्मी
बर्फीले दिनों में भी

वैसे ही कुछ दिनों के लिए
मैंने भी बचा कर रखा है
अपना सर्वश्रेष्ठ



copyright : Abhishek Tripathi

2 comments:

  1. wow bhaiya... aap likhte bhi hai???
    gazab...

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  2. Nice... Good one... be continue...

    JIS TARAH BAR BAR JANG LADHANE SE TALWAR KI DHAR TEZ HOTI HE... AAPAKI KAVITAEN BHI SARVASHRESHTHA HO JAYENGI...

    Thumbs Up from ME!

    - Sandeep Kumar

    ReplyDelete

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