Friday, November 21, 2008

विचार क्या है

आज हम एक बात का ख्याल करके बहुत खुश होते हैं कि हमने १० साल काम कर लिया २० साल काम कर लिया। अच्छा है , ठीक है, पर क्या कभी हम ये सोचते हैं कि सिर्फ़ काम करना और करते रहना ही ज़रूरी नहीं है। हमेशा ज़रूरत उस काम की होती है और शायद अहमियत भी, जो काम एक ख़ास लक्ष्य से किया जाता है। इस लक्ष्य को कहते हैं विचारधारा । ये विचारधारा क्या है? विचारधारा हमारी सोच की दिशा है और यही दिशा हमारी दशा भी निर्धारित करती है। हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे , सब इसी विचारधारा का खेल है। ज़रूरी नहीं है कि हमारे साथ काम करने वाला हर साथी हमारी ही विचारधारा का हो , पर हर विचारधारा की अपनी अहमियत है, महत्व है। तो हम विचारधारा के मर्म को समझें। विचारधारा को कई हिस्सों में बाँट कर रखा गया है। परम्परा , प्रगति, स्थिरता, आधुनिक और कितनी ही अन्य विचारधाराएं हमारे इर्द गिर्द मौजूद हैं। यहाँ समझने वाली बात ये है कि सब अपनी जगह ठीक हैं। हम जिसे ठीक समझते हैं उसे अपना लेते हैं। और जिसे ख़राब समझते हैं उसका विरोध करते हैं। रंगकर्म में कोई लोक कि बातें लेता है, कोई प्रयोग की, कोई व्यंग्य की लेता है कोई वास्तविकता की, हर कोई अपने हिसाब से ठीक है। तो ज़रूरत इस बात की है कि हम अपने विचार के साथ अपना रिश्ता हमेशा मज़बूत रखें और दूसरी विचारधारा का सम्मान भी बनाये रखें। इस विचारधारा के बहुत से मर्म हैं जिन्हें हम आगामी पोस्ट में विश्लेषित करने की कोशिश करेंगे।

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