Friday, February 17, 2017

आवाज़ का जादू: जहाँ तक घटा चले: अभिषेक त्रिपाठी


वो क्या है, जो होता हमारे मन में है पर बोलता कोई और है। एक बार नहीं, हमेशा, हर स्थिति, हर समय, हर दिन। एक आवाज़, जो हमारा प्रतिनिधित्व करती है, हमारे हर मनोभाव का चेहरा है। एक प्यार भरा मन कहीं देश के एक छोर में अपने प्रियतम को याद कर रहा है शायद और एक आवाज़ उसके अन्दर गूँजती है-

तुम्हें याद करते-करते, जायेगी रैन सारी
तुम ले गये हो अपने, संग नींद भी हमारी।

कहीं दूसरी जगह, एक आवज़ बयाँ कर रही है एक प्रेयसी का दर्द, उसकी टूटती आस, बिलख और तड़प-

क़दर जाने ना, हो क़दर जाने ना,
मोरा बालम बेदर्दी क़दर जाने ना।

एक जगह एक सुहागन स्त्री घर में अपने काम में उलझी हुई, गृहस्थी में मगन हो, अपने पति के लिये गीत गुनगुना रही है-

तेरा मेरा साथ रहे
धूप हो, छाया हो, दिन हो कि रात रहे
तेरा मेरा साथ रहे

एक बहन राखी पर अपने भाई के लिये ये गीत एक बार ज़रूर सोचती है-
बहना ने भाई की कलाई पे, प्यार बाँधा है
प्यार के दो तार से संसार बाँधा है

मीरा की तरह चाहत और समर्पण वाले प्रेम का जब एक नायिका पर्दे पर अभिनय कर रही होती है तो शिव-हरि का बनाया फ़िल्म सिलसिला का ये गीत हर विरहणी का गीत बन जाता है-

जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाही तोड़ूँ रे,
तो सों प्रीत तोड़ कृष्णा, कौन संग जोड़ूँ रे..

बंगाल मंे कहीं कोई युवती मंच पर खड़ी हो अपनी प्रस्तुति दे रही है, तो ये आवाज़ है-

तोमदेर असोरे आज, एई तो प्रोथोम गईते आसा
विनिमोई चाई तोमदेर प्रोसोनसा आर भलोबासा।

यानी तुम्हारे सामने आज ये पहला गाना गाने आना हुआ। विनम्रता पूर्वक तुम्हारे प्रशंसा एवं प्यार की अपेक्षा है।

भारत की लगभग हर भाषा में ये आवाज़ विभिन्न भावों के साथ जीवन में शामिल है। इसे निश्चित तौर पर भारत के दिल की आवाज़ का जा सकता है। राष्ट्र के हर कोने में, हर भावना को बिम्बित करती ये एक ही आवाज़ है जो हर जगह, हर भेष में मौज़ूद है। यही आवाज़ जब देशभक्ति के रंग में सामने आती है तो पूरे देश की आँखों में छलछलाये आँसू अपने वीर सपूतों के लिये ढाढस और विश्वास का सबब बन जाते हैं और देश एक सूत्र में बंध, खड़ा हो गाने लगता है-

“ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
 जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी”

आज के कश्मीर के हालात में यह गीत एकदम मौजूँ भी है और हर देशभक्त की आवाज़ भी।
और अचानक एक ख़बर ने मेरा ध्यान टीवी स्क्रीन की तरफ़ आकृष्ट किया। लता मंगेशकर ने अपील की है कि उनके इस जन्मदिन पर लोग उन्हें उपहार, ग्रीटिंग कार्ड्स इत्यादि भेजने की जगह वह धनराशि सैनिकों के कल्याणार्थ बनाये गये कोश में जमा करें। यह सबका उनके ऊपर एहसान होगा। वाह! इस जज़्बे को सलाम।

जी हाँ! हम लता मंगेशकर की बात कर रहे हैं। एक जादू की बात कर रहे हैं। एक आवाज़ का जादू। ये वही आवाज़ है जिसे सन् 1947-48 में फ़िल्मकार शशधर मुखर्जी ने बहुत पतली आवाज़ कह कर रिजेक्ट कर दिया था। और इसके लगभग एक साल बाद सन् 1949 में संगीत निर्देशक खेमचन्द्र प्रकाश ने इसी बहुत पतली आवाज़ के साथ धमाल मचाया। वो गीत था- 

‘आयेगा आने वाला’

‘महल’ फ़िल्म में यह गीत मधुबाला के ऊपर फ़िल्माया गया था। उस ज़माने के गानों के रिकाडर््स में गाने वाले की जगह नाम मिलता है- ‘कामिनी’। ये उस पात्र का नाम है जिस पर यह गीत फ़िल्माया गया। आप समझ गये होंगे- ‘कामिनी’ यानी मधुवाला यानी लता मंगेशकर। उस ज़माने में प्लेबैक नया ट्रेंड शुरू हुआ था और बहुत से रिकार्ड्स में गाने वाले की जगह पात्र का नाम या अभिनेता का नाम होता था। लगभग इसी गीत के साथ-साथ ही एक और फ़िल्म रिलीज हुई 1949 में। बरसात। बरसात फ़िल्म में लता के गाये गीतों ने हिन्दुस्तान में हंगामा कर दिया। बरसात पूरी फ़िल्म जैसे गीतमाला ही बनायी गयी। एक से बढ़कर एक गाने। बरसात का सब सुपरहिट। लता सुपरहिट। शंकर-जयकिशन सुपरहिट। राजकपूर सुपरहिट। यहाँ से लता मंगेशकर की आवाज़ का एकछत्र राज हिन्दी फ़िल्म जगत में शुरू होता है। इस ज़माने से लेकर आज के ज़माने तक गायकी में, संगीत में, धुनों में, फ़िल्मों में हर जगह बदलाव आते गये। नहीं बदली तो एक पसंद- 

“वो लता जी गा रहीं हैं क्या फ़िल्म में?“ 

लता नहीं तो कुछ नहीं। लता ने भी खूब गाया। हर लहज़ा। हर शक्ल। हर जगह। जिनके लिये गाया, वो धन्य हो गये। जिनके साथ गाया, वो धन्य हो गये।


यदि आप गायक बनना चाहते हैं तो लता मंगेशकर के गाये दस गाने सीख लीजिये। पूरा सीखिये। हू-ब-हू। यकीन मानिये आप निश्चित तौर पर एक मुकम्मल गायक बन सकेंगे। उनकी गायकी में इतनी ख़ासियत है। वो गले की हरकतें। वो भावों को आवाज़ से बताना। गायकी की एक ख़ास किस्म जिसे हम संगीतकार करेक्टराइजेशन या चारित्रिकता कहते हैं। हर गीत का एक चरित्र होता है, हर शब्द का एक चित्र होता है। लता मंगेशकर सिर्फ़ गाती नहीं, वो उस गीत का चरित्र गाती हैं, उस गीत का हर शब्द गाती हैं। शब्द का चित्र गाती हैं। और उस चित्र का संगीत गाती हैं। यहीं पर लता, लता हैं- और सिर्फ़ लता हैं। प्लेबैक सिंगिंग यानी लता।

“ओ सजना, बरखा बहार आयी
रस की फुहार लायी, अँखियों में प्यार लायी।”

चित्र ख़ुद-ब-ख़ुद सामने आ जाता है। सलिल चैधरी का संगीतबद्ध किया एक और गीत है-

“रजनीगन्धा फूल तुम्हारे
यूँ ही महके जीवन में
यूँ ही महकी प्रीत पिया की
मेरे अनुरागी मन में।”

ध्यान से सुनियेगा ‘मेरे अनुरागी मन में’। आप समझ पायेंगे कि लता क्या है? इस लता का रंग हर संगीतकार के साथ अलग है। ख़ास बात ये है कि लता के गाये हर गीत को सुनने के बाद लगता है कि इसके लिये दूसरी आवाज़ कौन सी होती? लक्ष्मीकान्त- प्यारेलाल के इस गीत के साथ, बारिश के मौसम में, लता मंगेशकर को 28 सितम्बर पर उनके जन्मदिन की बधाई के साथ, घटा के संग चलें, बारिश में मन को भिगो दें-

“चलो सजना, जहाँ तक घटा चले
लगाकर मुझे गले
चलो सजना, जहाँ तक घटा चले।”

अभिषेक त्रिपाठी

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