Saturday, May 8, 2010

स्पिक्मैके रीवा - एक प्रसिद्द विवाह घर में रात्रिभोज करते हुए लोगों ने कंसर्ट सुनी

Spicmacay- A Movement



स्पिक्मैके के सभी साथियों और इस ब्लॉग पढ़ने वालों को नमस्कार.


प्यारे दोस्तों
जैसा की आप सभी स्पिक्मैके के अवधारणा, उद्देश्य और कार्य-प्रणाली से भली-भांति परिचित हैं, ये आन्दोलन का रूप ले चूका एक ऐसा विरला संगठन है जिसने समूचे देश में सांस्कृतिक क्रांति ला दी है. छात्रों और छात्राओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति के प्रचार-प्रसार का मूल मंत्र लेकर इसे मूर्त रूप देकर स्पिक्मैके ने एक क्रांतिकारी काम किया है, और संस्थापक पद्मश्री किरन सेठ इसके लिए मेंटर, मार्गदर्शक और प्रशासक के तौर पर भूरि-भूरि प्रशंसा के पात्र हैं. स्पिक्मैके ने पिछले ३३ वर्षों में असीम उपलब्धियां बनाई हैं लेकिन साथ ही इस सांस्कृतिक आन्दोलन की पवित्रता, सादगी और मूल सिध्हांत को भी आश्चर्यजनक ढंग से बनाये रखा है जो की सबसे कठिन काम है, लाखों की तादाद में इस आन्दोलन से जुड़े लोगों यह संख्या अपने आप बताती है की इसमें कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ ख़ास है. आज छोटे से छोटे शहर में स्पिक्मैके पहुँच चुका है और अपने स्थानीय समन्वयको और स्वयंसेवकों के साथ शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को शास्त्रीय संगीत और भारतीय सांस्कृतिक विरासत की शिक्षा दे रहा है, मैं लगभग पिछले ७ वर्षों से इस आन्दोलन से जुदा रहा हूं और ये कह सकता हूं की मैंने इसमें योगदान देकर अपने जीवन को सफल बनाया है. प्यारे साथियों रीवा(मध्यप्रदेश) में मैंने लगभग ७० से ज्यादा स्पिक्मैके की गतिविधियाँ आयोजित करीं और अपने देश के जाने माने कलाकारों को स्पिक्मैके के माध्यम से छात्रों के बीच ले जाकर उनकी कला का रसास्वादन छात्रों को कराया जिनमे पं विश्वमोहन भट्ट, पं रोनू मजूमदार, सलिल भट्ट, तीजन बाई, उमा शर्मा, आशीष खान, कलामंडलम रमनकुट्टी नायर, कोलकत्ता डोल्स थिएटर, रानी खानम, राजस्थानी मंगनियार समूह, निजामी ब्रदर्स आदि प्रमुख हैं, इस दौरान मुझे स्पिक्मैके का राज्य स्तरीय अधिवेशन करने का भी मौका प्राप्त हुआ और रीवा गौरव की इस कड़ी में जुड़ा जिसकी मुझे बहुत खुशी हुई और मैं कुछ समय तक स्पिक्मैके का राज्य समन्वयक भी रहा, इसके बाद मेरा जॉब बदला तो कुछ यूँ हालात हुए की मैं प्रत्यक्ष तौर पर स्पिक्मैके की गतिविधियों में शामिल न रह सका और रीवा में स्पिक्मैके का एक अंतराल गुजर गया लेकिन इसकी गतिविधियाँ ना हो सकीं. अभी कुछ दिनों पूर्व मैंने अखबार के माध्यम से जाना की स्पिक्मैके का कार्यक्रम रीवा में होना है तो मुझे काफी खुशी हुयी और दिल में आया कि शायद कोई पुनः आकर स्पिक्मैके के आन्दोलन को आगे बढ़ाएगा और एक बार फिर से छात्रों को इससे फलीभूत होने का मौका मिलेगा. इस ब्लॉग के पढने वाले उन साथियों को बताना चाहूँगा जोकि स्पिक्मैके कि कार्यप्रणाली से परिचित नहीं है कि स्पिक्मैके का कोई भी कंसर्ट सिर्फ और सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों में ही किये जा सकते हैं और ये कंसर्ट केवल छात्रों के लिए किये जाते हैं जहाँ कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन लेक्चर के माध्यम से छात्रों को शिक्षित करने के उद्देश्य से करते हैं और इस सन्दर्भ में छात्रों की जिज्ञासा को भी शांत और पूरा करते हैं, २१ अप्रैल २०१० को शाम ८ बजे से स्पिक्मैके का एक कंसर्ट रीवा के एक प्रसिद्द विवाह घर में आयोजित किया गया जहाँ प्रसिद्द सरोद वादक पं बृजनारायण मिश्र आये और कंसर्ट की, पूरे कंसर्ट के दौरान विवाह घर के वरमाला हाल में सिर्फ ३५-४० संगीत प्रेमी दिखे पर एक भी छात्र नहीं मौजूद था, यही नहीं हाल के ठीक दायें बने विवाह घर के ओपन रेस्टोरेंट में रात्रिभोज करते हुए लोगों ने कंसर्ट सुनी और पुरी कंसर्ट के दौरान खाने पीने वाले लोगों का मूवमेंट बना रहा और पं जी बजाते रहे, कंसर्ट के बीच बीच में विवाह घर का डीजे भी बजता रहा औए पं बजाते रहे, मैं लगभग ३० मिनटों तक ही रह पाया और ग्लानि से भरकर बाहर चला आया और वहां से सरोद के सुर सुनता रहा......................................खैर मैं इस ब्लॉग के माध्यम से किसी की शिकायत नहीं कर रहा, बल्कि इस पवित्र आन्दोलन की अवधारणा स्मृत करना चाहता हूं और ये याद दिलाना चाहता हूं कि किसी को भी स्पिक्मैके जैसे आन्दोलन के जिम्मेदारी देने से पूर्व उसको समुचित तरीके से इस आन्दोलन का मूल मंत्र, उद्देश्य और कार्य प्रणाली की सारी जानकारी दी जानी चाहिए जिससे ये आन्दोलन अपने भाव से कभी बदला या रूपांतरित न नज़र आये. यदि आप खुद स्पिक्मैके के भावों से परिचित नहीं हैं तो आप छात्रों के बीच में जाकर कलाकार के माध्यम से उन्हें स्पिक्मैके और इसके उद्देश्यों से कैसे परिचित कराएँगे???????????????

आपके कथनों का स्वागत रहेगा.


राजीव त्रिपाठी
Rewa (एम. पी.)
मो-9713174704
Courtsey: http://rajivktripathi.blogspot.com/2010/04/spicmacay-movement.html

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