Monday, February 8, 2010

एक रंग ठहरा हुआ: आशीष त्रिपाठी का नया कविता संग्रह


एक रंग ठहरा हुआ
"एक रंग ठहरा हुआ" एक  नया कविता संग्रह हाल ही में प्रकाशित हुआ है, जिसमें  आशीष त्रिपाठी की महत्वपूर्ण कवितायेँ शामिल हैं. कवितायेँ आपके और हमारे बीच के जीवन का यथार्थ हैं. आशीष त्रिपाठी बचपन से ही साहित्य-कला-रंगमंच में सक्रिय रहें हैं. उनकी पहली पुस्तक - समकालीन हिंदी रंगमंच और रंगभाषा कुछ समय पूर्व ही प्रकाशित हुई है. इस पुस्तक के साथ-साथ ही आशीष जी के ही सम्पादन में प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह के विभिन्न आलेख चार अलग-अलग पुस्तक रूप में हाल ही में विमोचित किये गए हैं.
आशीष वर्तमान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस में हिंदी के रीडर हैं. लम्बे समय से रंगमंच से जुड़े आशीष ने कई नाटकों का निर्देशन भी किया है. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वे लगातार मौजूद रहे हैं.

अभी हाल ही में रविवार के जनसत्ता रायपुर के पृष्ठ चार में श्री अशोक वाजपयी ने अपने कालम कभी-कभार में कुछ यूँ लिखा है -

इस बार के विश्व पुस्तक मेले की हम में से कई के लिए और शायद सारे समकालीन हिंदी साहित्य जगत के लिए सबसे बड़ी घटना नामवर सिंह की चार पुस्तकों का एक साथ प्रकाशन है. हम लोग उनको बरसों से निजी और सार्वजनिक स्तरों पर निरी वाचिक परंपरा में महदूद हो जाने और लिखने से बचने के लिए कोंचते-कोसते रहे हैं. युवा आलोचक आशीष त्रिपाठी ने यह बड़ा काम किया है कि उनहोंने इस बीच नामवर जी द्वारा लिखित और बोली गयी सामग्री के अभिलिखित रूपों को  जतन और समझ से एकत्र और विन्यस्त  कर आठ पुस्तकों श्रृंखला बनायीं  है, जिसमे से पहली चार राजकमल प्रकाशन ने इस मेले में लोकार्पित  करायीं. . ..................यह  बिना  संकोच  के सुदृढ़  आधार  पर कहा जा सकता  है कि इन  पुस्तकों का प्रकाशन साहित्य और आलोचना  के लिए, स्वयं नामवर जी के लिए सचमुच  ऐतिहासिक  है. 
(courtsey: http://jansattaraipur.com/enews/20100214/jansatta4.pdf )

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